कृषि विश्वविद्यालय ने कटाई दिवस आयोजित कर पराली न जलाने की, की अपील।
तरुण प्रवाह
अयोध्या।आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज, अयोध्या के कुलपति डाँ बिजेन्द्र सिंह की अध्यक्ष्ता में प्रसार निदेशालय के प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन प्रक्षेत्र पर खरीफ में धान फसल की कटाई प्ररम्भ कर दी गयी। इस प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन प्रक्षेत्र पर धान सरजू-52, नरेन्द्र धान-97, नरेन्द्र धान-359, नरेन्द्र धान-2064, नरेन्द्र धान-2065, साम्भा सब-1, बी0पी0टी0-5204, मालवीया सुगन्धा, काला नमक, काला नमक-03 व पूसा बासमती-01 आदि प्रजाति प्रदर्शित की गयी थी , जिनकी कटाई की जा रही है। प्रसार निदेशालय द्वारा पूर्वांचल के 25 कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से किसानों को पराली न जलाने की सलाह देकर फसल अवशेष प्रबंधन में जागरूक किया जा रहा है। निदेशक प्रसार डॉ0 ए0पी0 राव ने बताया कि ग्रामीण, विकासखंड एवं जनपद स्तर पर किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन पर तकनीकी जानकारी दी जा रही है। इसके अन्तर्गत गोष्ठियों, किसान मेला, वॉल पेंटिंग के माध्यम से व प्रशिक्षण देकर किसानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। पराली का अवशेष प्रबंधन करके जहां जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ती है वहीं भूमि में लाभकारी सूक्ष्म जीवाणुओं व केचुआ इत्यादि की संख्या में भी वृद्धि होती है। कृषि विज्ञान केन्द्र बाराबंकी, जौनपुर, आजमगढ़, चंदौली, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, बहराइच जनपदों में वृहद स्तर पर फसल अवशेष प्रबंधन की तरफ किसानों को जागरूक किया गया है। मृदा वैज्ञानिक प्रोफेसर आर.आर. सिंह ने बताया कि पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होने के साथ ही साथ मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या बहुत कम हो जाती है। इन सूक्ष्म जीवाणुओं की कमी से फसल का उत्पादन गिरने लगता है इसलिए फसल अवशेष को ना जला कर इसको मिट्टी में मिलाना चाहिए जिससे जमीन में जीवांश की मात्रा बढ़ती है तथा कार्बन में भी वृद्धि होती है, जिससे फसल उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है।
मीडिया प्रभारी डाँ अखिलेश कुमार सिंह ने बताया की फसल अवशेष प्रबन्धन से अगली फसल की उपज में कम लागत से अधिक उत्पादन प्राप्त होता है।कुलपति डाँ बिजेन्द्र सिंह एवं ने सभी किसान भाइयों से अपील की है कि खेतों में पराली को कदापि ना जलाएं। फसल अवशेष को मिट्टी में अवश्य मिलाए जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि के साथ ही साथ, गेहूं की बुवाई किसान भाई समय से कर सकें। अधिक उत्पादन प्राप्ति हेतु फसल अवशेष प्रबंधन करना नितान्त आवश्यक है।
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