तरुण प्रवाह
अयोध्या ।किसान भाईयों को अपनी आय दोगुनी करनी है तो उनके लिए एक अच्छी खबर है। किसान भाई अपने खेतों में अन्न उपजाने के साथ-साथ खेतों की मेड़ पर सागौन का पेड़ लगाकर अपनी आय को बढ़ा सकते हैं। इस पौधे का प्रयोग फर्नीचर उद्योग, दवाईयां व घरेलू उपयोग के लिए किया जाता है। सागौन का पौधा आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौ. विश्वविद्यालय में नौ रुपये प्रति पौधा की दर पर उपलब्ध है।किसान अगर सागौन की खेती को आधुनिक तरीके से करें तो इससे लंबे समय तक अतिरिक्त कमाई हो सकती है। इसकी पत्तियों से लाल रंग निकाला जाता है जिसका उपयोग हर्बल लिपिष्टक बनाने में किया जाता है। यही नहीं इसका उपयोग दवाईयां, टैनिन, बंदूक आदि को बनाने में भी किया जाता है।
कैसे तैयार होती है नर्सरीः सागौन के अच्छे पेड़ों से बीजों को दिसंबर-जनवरी के महीने में एकत्र कर लें। गड्ढे में गोबर की खाद मिलाकर पानी भरकर बंद करके लगभग तीन महीने के लिए छोड़ दिया जाता है। इसके बाद बीजों को मार्च माह में नर्सरी में बोया जाता है। 20 दिनों के बाद बीजों से अंकुरण शुरू होने लगता है। पौधों को थैली में रखकर गोबर की खाद, मिट्टी व रेत भरकर लगाया जाता है। जुलाई माह में पौधे खेतों में लगाने के लिए तैयार हो जाते हैं।
कैसे लगाएं सागौन के पौधेः सागौन के पौधों को लगाने के लिए उसकी ऊंचाई लगभग एक से दो फिट की होनी चाहिए। इसको लगाने के लिए खेत की मेड़ों पर ड्रिल मशीन से गड्ढे खुदवाकर मई या जून माह में गोबर की खाद को मिलाकर गड्ढे को ढक देते हैं। बरसात के दिनों में सागौन के पौधों को खेत की मेड़ों पर लगाया जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि एक हेक्टेयर जमीन पर लगभग दो सौ पौधे लगाए जा सकते हैं।
सागौन के पौधों के फायदेः मेड़ों पर सागौन के पौधे लगाने से उसकी ज्यादा देखभाल नहीं करनी पड़ती है। खेत में बोई हुई फसल को पानी देने से पौधों की भी सिंचाई का काम हो जाता है। धान गेहूं सरसो व अन्य फसलों के साथ मेड़ों पर सागौन के पौधों को लगा सकते हैं साथ ही 15 से 20 वर्षों बाद इससे अतिरिक्त आय की प्राप्ति होती है। वर्तमान समय में बाजारों में सागौन की लकड़ी लगभग दो हजार रुपये प्रति घन मीटर के दाम पर मिलती है।
वर्जन-
कृषि वानिकी विभाग के मुख्य प्रयोग केंद्र पर सागौन का पौधा उपलब्ध है। इसका मूल्य मात्र नौ रुपये निर्धारित है।
डॉ. ओपी राव, अध्यक्ष, कृषि एवं वानिकी विभाग
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