भारत माता विवाद पर केरल सरकार ने राजभवन कार्यक्रम छोड़ा
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By Admin
Published - 06 June 2025 6 views
भारत माता की तस्वीर हर भारतीय के दिल में बसी है और हर कोई इसकी पूजा करता है। लेकिन केरल में सरकार ने भारत माता की तस्वीर रखे जाने के कारण एक कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया। यही नहीं, केरल में विपक्ष के नेता कह रहे हैं कि राजभवन में भारत माता की तस्वीर रखना सही नहीं है। केरल में सत्तारुढ़ पार्टी के नेता कह रहे हैं कि भारत माता की तस्वीर को सांप्रदायिकता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है और इसका कोई आधिकारिक दर्जा नहीं है। यह सब बयान सुन कर सहसा विश्वास नहीं हो रहा कि यह सब बयान भारतीय नेताओं के हैं। जो नेता भारत माता की तस्वीर को आरएसएस की विचारधारा के रूप में देख रहे हैं उनकी सोच पर शर्म आती है क्योंकि मातृभूमि की तस्वीर किसी एक संगठन या व्यक्ति की नहीं अपितु हर भारतीय की है। इसलिए केरल में घटे घटनाक्रम के जिम्मेदार लोगों को माफी मांगनी चाहिए क्योंकि भारत माता की तस्वीर के तिरस्कार से हर भारतीय की भावनाओं को ठेस पहुँची है।हम आपको बता दें कि केरल के राजभवन में गुरुवार को विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में आरएसएस की शाखाओं में आमतौर पर लगाई जाने वाली ‘भारत माता’ की तस्वीर रखे जाने के कारण राज्य सरकार ने कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया। इस पूरे विवाद पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि भारत माता के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। कार्यक्रम का बहिष्कार करने वाले केरल के कृषि मंत्री पी प्रसाद ने कहा कि राज्य सरकार भारत माता का सम्मान करती है, लेकिन राजभवन में आधिकारिक समारोह के लिए आरएसएस शाखाओं से जुड़ी तस्वीर का उपयोग करना असंवैधानिक है। विवाद के बावजूद राजभवन में कार्यक्रम आयोजित किया गया जबकि राज्य सरकार ने सचिवालय के दरबार हॉल में विश्व पर्यावरण दिवस पर अलग से कार्यक्रम आयोजित किया।बाद में राजभवन द्वारा जारी एक बयान में राज्यपाल ने कहा, ‘‘चाहे किसी भी ओर से कितना भी दबाव क्यों न हो, भारत माता पर किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा।’’ विश्व पर्यावरण दिवस समारोह के दौरान राजभवन में राज्यपाल के भाषण का हवाला देते हुए बयान में कहा गया है कि कृषि मंत्री ने शुरू में अनुरोध किया था कि यह कार्यक्रम राजभवन में आयोजित किया जाए। इसमें कहा गया, ‘‘राज्यपाल ने सहर्ष अनुमति दे दी थी। हालांकि, जब मंत्री ने मंच पर भारत माता का चित्र हटाने पर जोर दिया तो राज्यपाल को यह अनुरोध ठुकराना पड़ा। इसके बाद मंत्री ने कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया।’’ बयान के मुताबिक,‘‘उनसे न केवल सुबह के सत्र में बल्कि राजभवन में शाम को आयोजित पर्यावरण दिवस समारोह में भी भाग लेने की अपेक्षा थी, लेकिन दुर्भाग्यवश, उन्होंने दोनों में से ही परहेज किया।’’राजभवन की ओर से जारी बयान में कहा गया कि राज्यपाल ने कहा कि अनादि काल से भारत में वृक्षों, जल और वायु की पूजा और संरक्षण की परंपरा रही है। बयान में कहा गया है, ‘‘उन्होंने कहा कि कुछ वर्तमान ‘वाद’ इस परंपरा को त्यागने की मांग कर रहे हैं।’’ राज्यपाल आर्लेकर ने इस बात पर जोर दिया कि वास्तविक पर्यावरण संरक्षण केवल हमारी परंपराओं को कायम रखने और उनके अनुरूप जीवन जीने से ही संभव है।वहीं कृषि मंत्री प्रसाद ने कहा कि कार्यक्रम का एजेंडा राजभवन द्वारा तैयार किया गया था और उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया था। प्रसाद ने कहा, ‘‘लेकिन बुधवार शाम को उन्होंने अचानक एक नई चीज जोड़ दी- भारत माता की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित करना। यह संवैधानिक मानदंडों के खिलाफ है और उस तस्वीर का आरएसएस द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।’’ उन्होंने कहा कि राजभवन, जो एक संवैधानिक कार्यालय है, को ऐसी तस्वीर का उपयोग नहीं करना चाहिए जो केवल एक विशेष संगठन द्वारा उपयोग की जाती है। कृषि मंत्री प्रसाद ने कहा, ‘‘इसलिए हमने कार्यक्रम का स्थान बदल दिया और इसे सचिवालय के अंदर दरबार हॉल में आयोजित किया।’’इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि राजभवन की ओर से बदलाव अंतिम समय में किया गया, जिसके कारण कृषि विभाग को समारोह को दूसरी जगह पर आयोजित करना पड़ा। कृषि विभाग का पर्यावरण दिवस समारोह बृहस्पतिवार को पूर्वाह्न 11 बजे सचिवालय परिसर में आयोजित किया गया। वहीं इस पूरे घटनाक्रम पर आरएसएस से जुड़ा संगठन भारतीय विचार केंद्रम ने राज्यपाल के रुख का पुरजोर समर्थन किया जबकि सत्तारुढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और विपक्षी कांग्रेस ने इस मामले में राजभवन की आलोचना की। एक बयान में भारतीय विचार केंद्रम ने सवाल उठाया कि इस कार्यक्रम में भारत माता के चित्र का प्रदर्शन कैसे असंवैधानिक माना जा सकता है। बयान में कहा गया है कि भारत माता का विचार राष्ट्र की सभ्यता का प्रतीक है, न कि केवल पत्थरों, मिट्टी, पेड़ों और नदियों की छवि। श्री अरविंद को उद्धृत करते हुए इसमें कहा गया है कि भारत माता को सर्वोच्च शक्ति (पराशक्ति) का एक रूप माना जाता है।उधर, केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने कहा कि राजभवन में भारत माता की तस्वीर रखना सही नहीं है। माकपा के राज्य सचिव एमवी गोविंदन ने एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान एक विवादास्पद तस्वीर के इस्तेमाल की आलोचना करते हुए कहा कि इसे व्यापक रूप से सांप्रदायिकता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है और इसका कोई आधिकारिक दर्जा नहीं है।
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